Arbaeen असल मायने में Arbaeen कर्बला की लड़ाई में यज़ीद के जरिए मारे गए इमाम हुसैन इब्न अली की मौत के चालीस दिनों के निशानी के तौर पर याद किया जाता है इमाम हुसैन वो खुदा के वो नेक बंदे थे जिन्होंने सामाजिक न्याय करने के खुद ना केवल खुद के प्राण गवाएं बल्कि इनके साथ 71 और साथियों ने अपने प्राणों को बिना कोई शिकायत के गवां दिए।यही वजह है कि लोगो को हिदायत दी जाती है कि सभी ज़ियारत ए अरबीन जरूर से पढ़ना चाहिए जिससे लोग उनकी कुर्बानी भूल ना सके। Ziarat-E-Arbaeen को अल्लाह के बंदे बड़े शिद्दत से सुनना पसंद करते है।
अल्लाह हमारे सबसे बड़े बादशाह है।इनकी रहमते बरसती है इनके निमाइंदो पर ये बेहद नेकदिल और दयालु है।इसकी का सारगर्भित महत्व Arba’een में किया गया है। वही Ziyarat-e-Arbaeen एक तरह का प्रदर्शन है जिसकी अपनी खुद धार्मिक मान्यता है।अल्लाह के बंदे को इस्लाम धर्म के तहत 51 रका साला पढ़ने के अतिरिक्त बिस्मिल्लाह का श्रव्य पाठ जरूरी माना गया है ।इसके साथ ही मुस्लिम भाईयों को दाहिने हाथ में अंगूठी पहना और एक अंतिम बात ध्यान रखना चाहिए कि वो धूल पर सजदा करे।अल् यानी की हमारे सबसे बड़े दयालु ,बादशाह है। Ziyarat सही मायने में खुदा के सामने गुफ्तगू करने का जरिया है।खुदा के सामने कैसे हम खुद को पेश करेंगे।
वही इस दौरान लोग शारीरिक रूप से करबला में रहने को तवज्जो देते है जिससे वो इमाम के जाने का शोक बखूबी रूप से जाहिर कर सके।लेकिन ऐसा तो संभव नही की उस दौरान इस्लाम समुदाव के सभी लोग वहां उपस्थित हो सके।ऐसे में आपके जेहन में ये सवाल जरूर आता होगा कि क्या करबला जैसी पाक जगह पर मौजूद न होने और वो नेकी हमे प्राप्त होगी या नही।क्योंकि करबला जहां अल्लाह के नेक बंदे शाहिद हुए है उसका खास धार्मिक महत्व है।इस पर रोशनी डाले तो जो भी बंदा करबला जाकर Ziyarat प्रदर्शित करता है।अल्लाह उसपर खुश हो जाते और उस पर अल्लाह की नेकी बरसती है। Importance of Ziarat E Arbaeen तो मोटे तौर पर आपको समझ आ ही गया होगा |
Contents
Ziarat E Arbaeen in Hindi
अल्स्सलामु `अलयका या वारिस आदमा सिफ्वाती अल्लाहि अल्स्सलामु `अलयका या वारिसा नूहीन नबिय्यी अल्लाहिअल्स्सलामु `अलयका या वारिसा इब्राहीमा खलीली अल्लाहिअल्स्सलामु `अलयका या वारिसा मूसा कालीमि अल्लाहिअल्स्सलामु `अलयका या वारिसा `ईसा रूही अल्लाहिअल्स्सलामु `अलयका या वारिसा मुहम्मदीन हबीबी अल्लाहिअल्स्सलामु `अलयका या वारिसा `अलिय्यिन अमीरल मु’मिनीना वलिय्यी अल्लाहिअल्स्सलामु ’अलयका या वारिसा अल्हसनी अल’शहीदी सिब्ती रसूली अल्लाहिअल्स’सलामु `अलयका यबना रसूली अल्लाहिअल्स्सलामु `अलयका यबना अल’बशीरी अलं’नज़ीरी वाब्ना सय्यीदी अल’वसिय्यीनाअल’सलामु `अलयका यबना फातिमता सय्यिदती निसा‘ई अल`आलामीनाअल’सलामु `अलयका या अबा `अब्दिल’लाहीअल’सलामु `अलयका या खियारता अल्लाहि वब्ना खियारती’हीअल’सलामु `अलयका या सारा अल्लाहि वब्ना सारिहीअल’सलामु `अलयका अय्युहा अल’वितरु अल’मव्तूरूअल’सलामु `अलयका अय्युहा अल-इमामु अल’हादी अल’ज़किय्यु वा `अला अर्वाहीन हालात बी’फ़िना’ईका वा अक़ामत फ़ी जिवारिका वा वाफ़दत मा अ ज़ुव्वा’रिकाअल’सलामु `अलयका मिन्नी मा बकीतु वा बक़ी’या अल’लयलू वल’नहारु फ़ला’क़द `अज़ुमत बिका अल’रज़ी’यतु वा जल्ला अल’मुसाबू फ़ी अल’मुमिनीना वल’मुसलिमीना वा फ़ी अहली अल’समावाती अजमा’ईना वा फ़ी सुक’कानी अल-अराज़ीना फ़’इन्ना लील’लाही वा इन्ना इलय्ही राजी’ऊना वा सलावातु अल्लाहि वा बरकातु’हू वा तही’यातु’हू अलयका वा अला आब़ा’ईका अल’ताहिरीना अल’तय्यी’बीना अल’मुन्ताजा’बीना वा अला ज़रा’रीहिमु अल’हुदाती अल’महदी’ईनाअल’सलामु `अलयका या मौलाया वा अलय्हीम वा अला रूहिका वा अला अर’वाही’हिम वा अला तुर्बतिका वा अला तुर्बती’हिम अल्लाहुम्मा लक़’किहिम रहमतन वा रिज़वा’नन वा रौ’हन वा रेहा’ननअल’सलामु `अलयका या मौलाया या अबा’अब्दिल’लाही यबना ख़ा’तमि अल’नबी’ईना वा यबना सय्यीदी अल’वसी’ईना वा यबना सय्यी’दती निसा’ईल आलामीनाअल’सलामु `अलयका या शहीदु यबना अल’शहीदी या अखा अल’शहीदी या अबा अल’शुहदा’ई अल्लाहुम्मा बल्लिग़’हु अन’नी फ़ी हाज़ि’ही अस’सा अति वा फ़ी हाज़ा अल’यौमी वा फ़ी हाज़ा अल’वक्ति वा फ़ी कुल्ली वक़’तिन तही’यतन कसी’रतन वा सलामन सलामु अल्लाहि अलयका वा रहमतु अल्लाहि वा बरकातुहू यबना सय्यीदी अल आलामीना वा अला अल’मुस्तश-हदीना मा अका सलामन मूत’तसिलन मा ईत’तसला अल’लयलू वल’नहारुअल’सलामु `अला अल’हुसैन इब्ने अली’ईन अल’शहीदीअल’सलामु `अला `अली’इब्नी अल’हुसय्नी अल’शहीदीअल’सलामु `अला अल`अब्बास’इब्नी अमीरल मुमिनीना अल’शहीदीअल’सलामु `अला अल’शुहदा’ई मिन वुल्दी अमीर’अल मुमिनीनाअल’सलामु `अला अल’शुहदा’ई मिन वुल्दी-अल’ हसनीअल’सलामु अला अल’शुहदा’ई मिन वुल्दी’अल हुसय्नीअल’सलामु `अला अल’शुहदा’ई मिन वुल्दी जा’फ़रीन वा `अक़ील’ईनअल’सलामु `अला कुल्ली मुस्तश-हदिन मा अहुम मिन’अल मुमिनीना अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मदीन वा आली मुहम्मदीन वा बल्लिग़’हुम अन्नी तही’यतन कसी’रतन वा सलामनअल’सलामु ` अलयका या फ़ाति’मतु अह्सना अल’लाहू लकी अल`अज़ा’अ फ़ी वालादिकी अल’हुसय्नीअल’सलामु `अलयका या अमीर’अल मुमिनीना अह्सना अल्लाहू लका अल अज़ा’अ फ़ी वला’दिका’अल हुसय्नीअल’सलामु `अलयका या अबा मुहम्मदीन अल’हसनू अह्सना’अल-लाहू लका अल अज़ा’अ फ़ी अखी’का अल’हुसय्नी या मौलाया या अबा अब्दिल’लाही अना ज़य्फु अल’लाही वा ज़य्फु’का वा जारू अल्लाहि वा जारुका वा ली’कुल्ली ज़ायफिन वा जार’ईन क़ी’रन वा क़ी’राया फ़ी हाज़ा अल’वक़ती अन तस’अला अल्लाह सुब’हानाहू वा ता’आला अन यर’ज़ुक’अनी फ़का’का रक़’बती मिन’अल नारी इन्नाहू समी’उ दुआ’ई क़री’बुन मुजीबुन
Suggested Read: All Ziarat in Hindi & English
Ziarat E Arbaeen in English
ASSALAAMO A’LAA WALIYYILLAAHE WA HABEEBEHI..
ASSALAAMO A’LAA KHALEELILLAAHE WA NAJEEBEHI
ASSALAAMO A’LAA SAFIYYILLAAHE WABNA SAFIYYEHI
ASSALAAMO A’LAL HUSYANIL MAZLOOMISH SHAHEEDE
ASAAALAAMO A’LAA ASEERIL KOROBAATE WA QATEELIL A’BARAATE
ALLAAHUMMAA INNEE ASH-HADO ANNAHU WALIYYOKA WABNO
WALIYYEKA WA SAFIYYOKA WABNO SAFIYYEKAL…
FAAA-EZO BE-KARAAMATEKA AKRAMTAHU BISH SHAHAADATE WA
HABAWTAHU BIS SA-A’DATE WAJ-TABAYTAHU BE-TEEBIL
WELAADATE WA JA-A’LTAHU SAYYEDAN MENAS SAADATE WA
QAAA-EDAN MENAL QAADATE WA ZAAA-EDAN MINAZ ZAADATE WA
AA’-TAYTAHU MAWAAREESUL AMBEYAAA-E WA JA-A’LTAHU
HUJJATAN A’LAA KHALQEKA MENAL AWSEYAAA-E FA-AA’-ZARA FID
DO-AAA-E WA MANAHAN NUSHA WA BAZALA MOHJATAHU FEEKA LE-
YASTANQEZA E’BAADEKA MENAL JAHAALATI WA HAYRATIZ
ZALAALATE WA QAD TAWAAZARA A’LAYHE MAN GHARRAT-HUD
DUNYAA WA BAA-A’ HAZZAHU BIL-ARZALIL ADNAA WA SHARAA
AAKHERATAHU BIS-SAMANIL AWKASE WA TA-GHAT-RASA WA…
TARADDAA FEE HAWAAHO WA ASKHATAKA WA ASKHATA NABIYYAKA
WA ATAA-A’ MIN E’BAADEKA AHLASH SHEQAAQE WAN NEFAAQE WA
HAMALATAL AWZAARIL MUSTAWJEBEENAN NAARA FA-JAAHADA
HUM FEEKA SAABERAN MOHTASEBAN HATTAA SOFEKA FEE TAA-
A’TEKA DAMOHU WASTOBEEHA HAREEMOHU ALLAAHUMMA FAL-
A’NHUM LA’-NAN WABEELAN WA A’ZZIBHUM A’ZAABAN ALEEMAN…
ASSALAAMO A’LAYKA YABNA RASOOLILLAAHE
ASSALAAMO A’LAYKA YABNA SAYYEDIL AWSEYAAA-E ASH-HADO
ANNAKA AMEENULLAAHE WABNO AMEENEHI I’SHTA SA-E’EDAN WA
MAZAYTA HAMEEDAN WA MUTTA FAQEEDAN MAZLOOMAN SHAHEEDAN ….
WA ASH-HADO ANNALLAAHA MUNJEZUN MAA WA-A’DAKA WA
MOHLEKUN MAN KHAZALAKA WA MO-A’ZZEBUN MAN QATALAKA WA
ASH-HADO ANNAKA WAFAYTA BE-A’HDILLAAHE WA JAAHADTA FEE
SABEELEHI HATTAA AATAYRKAL YAQEENO FA-LA-A’NALLAAHO MAN
QATALAKA WA LA-A’NALLAAHO MAN ZALAMAKA WA LA-
A’NALLAAHO UMMATAN SAME-A’T BE-ZAALEKA FARAZEYAT BEHI ..
ALLAHUMA INNEE USH-HEDOKA ANNEE WALIYYUN LEMAN WALAAHO
WA A’DUWWUN LEMAN A’ADAAHO BE-ABEE ANTA WA UMMEE YABNA
RASOOLILLAAHE ASH-HADO ANNAAKA KUNTA NOORAN FIL ..
ASLAABISH SHAAMEKHATE WAL ARHAAMIL MOTAHHARATE LAM
TONAJJISKAL JAAHELIYYATO BE-ANJAASEHAA WA LAM TULBISKAL
MUDLAHIMMAATO MIN SEYAABEHAA WA ASH-HADO ANNAKA MIN DA-
A’AA-EMID DEENE WA ARKAANIL MUSLEMEENA WA MA’-QELIL MO-
MINEENA WA ASH-HADO ANNAKAL EMAAMUL BARRUT TAQQIYYUR
RAZIYYUZ ZAKIYYUL HAADIL MAHDIYYO WA ASH-HADO ANNAL A-
IMMATA MIN WULDEKA KALEMATUT TAQWAA WA AA’-LAAMUL
HODAA WAL U’RWATUL WUSQAA WAL HUJJATO A’LAA AHLID
DUNYAA WA ASH-HADO ANNEE BEKUM MO-MENUN WA BE-
EYAABEKUM MOOQENUN BE-SHARAA-YE-E’DEENEE WA
KHAWAATEEME A’MALEE WA QALBEE LE-QALBEKUM SILMUN WA
AMREE LE-AMREKUM MUTTABE-U’N WA NUSRATEE LAKUM MO-
A’DDATUN HATTAA YAAZANALLAAHO LUKUM FA-MA-A’KUM LAA MA-A’ A’DDUWWEKUM SALAWAATULLAAHE A’LAYKUM
WA A’LAA ARWAAHEKUM WA AJSAADEKUM WA SHAAHEDEKUM WA
GHAAA-EBEKUM WA ZAAHEREKUM WA BAATENEKUM AAMEENA
RABBAL A’ALAAMEENA …
Importance of Ziarat E Arbaeen in Islam
Ziarat E Arbaeen का महत्व बहुत ज्यादा होता हालाँकि ज़ियारते अरबईन का महत्व इसीलिए अधिक नहीं है क्योंकि या मोमिन की निशानियों में से एक है| काफी सारे इंसानो को मोमिन की निशानियों के बारे में जानकारी नहीं होती है, चलिए सबसे पहले हम आपको मोमिन की निशानियों के बारे में बताते है, मोमिन की पांच निशानियाँ जैसे, रकअत नमाज़, ज़ियारते अरबईन इमाम हुसैन, हादिने हाथ में अंगूठी पहनना, मिट्टी पर सजदा करना और तेज़ आवाज़ से बिस्मिल्लाह कहना है| Ziyarat E Arbaeen वाजिब होने के साथ साथ और मुस्तहेब नमाज़ें की लाइनों में भी आती है, यह तो आप सभी अच्छी तरह से जानते ही होंगे की नमाज़ दीन का स्तंभ माना जाता है, उसी तरह से ज़ियारते अरबईन को भी दीन का स्तंभ माना जाता है। इस्लाम में पैदल चलने का भी अपना अलग सवाब मिलता है, घर या दूकान से मस्जिद में पैदल जाने का सवाब मिलता है, ज़ियारत के लिये पैदल चलने का सवाब भी बहुत ज्यादा मिलता है| ज़ियारते अरबईन की फज़ीलत बहुत ज्यादा होती है, इमामे हसन असकरी की हदीस में भी ज़ियारते अरबईन के बारे में बताया गया है| ज़ियारते अरबईन की खू़सूसीयात काफी सारी है और इसकी एक खू़सूसीयत यह भी है की बहुत से ज़ायरीन इमामे मज़लूम के हरम की तरफ पैदल सफर कर रहे है|
होम पेज | यहाँ क्लिक करें |
Also Read:
- Darood Sharif in Hindi & English
- Ziarat-E-Ashura
- Ziarat-E-Ale-Yaseen
- Taraweeh Ki Dua in Hindi
- Roza Kholne ki Dua Hindi Mein
- Dua E Qunoot in Hindi