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- 1 Dua E Qunoot Hindi, English, Arabic with Translation
Dua E Qunoot Hindi, English, Arabic with Translation
इस्लाम धर्म में हर दुआ का खास महत्व होता है।खुदा की रहमत बरसती है Dua करने से अल्लाह ताला खुश होते है दुआ करने से।अल्लाह तक पहुंचने का रास्ता है दुआ।इन सब चीजों पर गौर फरमाते हुए आज हम दुआए क़ुनूत हिंदी (Dua e Qunoot Hindi Mein) में तर्जुमा के साथ आपकी सुविधा के मुताबिक लगी नायब जानकारी देगे।आपसे उम्मीद रखते है कि आप इस Blog को पूरा पढ़ेंगे।
वैसे इस्लाम धर्म के भाई और बहनों को दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) या किसी भी दुआ को अरबी भाषा में पढ़ने की अधिकतर कोशिश में होना चाहिए।लेकिन चूंकि हम हिंदी भाषी है इस नाते हमें दुआए क़ुनूत नहीं आती है तो ऐसे में वैकल्पिक तौर पर हम दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot Hindi) हिंदी और इंग्लिश में बढ़ाकर इसे गहराई से समझ सकते है।
दुआ-ए-क़ुनूत हिंदी – Dua e Qunoot Hindi Images
Hindi तर्जुमा
ऐ अल्लाह, हम तुझ से मदद चाहते हैं ! और तूझ से माफी मांगते हैं तुझ पर ईमान रखते हैं और तुझ पर भरोसा करते हैं ! और तेरी बहुत अच्छी तारीफ करते हैं और तेरा शुक्र करते हैं और तेरी नाशुकरी नहीं करते और अलग करते हैं और छोड़ते हैं, इस शख्स को जो तेरी नाफरमानी करें.
Dua e Qunoot in English Images
Dua e Qunoot in Arabic
कब पढ़ी जाती है दुआए क़ुनूत ( When to Read Dua e Qunoot )
दुआए क़ुनूत बेहद ही अफजल दुवाओ में से एक है।और इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते है कि ये ए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) को वित्र नमाज़ में वाज़िब माना गया है। ईशा के दौरान जब वित्र वाज़िब मुसलमान भाई पढ़ते है तभी दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) पढ़ने का चलन है।वही तीसरी रकात में बंदे को सूरह फातिहा और सूरह पढ़ लेने का नियम है।इसके बाद आपको रूकू में जाने से पहले कानों तक अपने हाथ को उठाना होता है इसके ठीक बाद अल्लाहु-अक्बर कहते हुए दोबारा से हाथ बांध कर दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) पढ़ना उचित माना जाता है।
अगर कोई बंदा दुआए क़ुनूत भूल गए तो क्या नमाज अदा होगी ?
अगर आप वित्र की तीसरी रकअत में दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) पढना किसी वजह से भूल जाते है।तो ऐसे में आपको सजदए सहव करना होता है।
सजदए सहव करने का सही तरीका
जब कभी भी आप वित्र की तीसरी रकअत में दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot Hindi Mein ) पढ़ने की भूल गए हो ऐसे में आपको सबसे पहले बैठकर अत्ताहिय्यात इस्लामिक मान्यता के अनुसार पढ़ना चाहिए और फिर आप एक सलाम फेरेंगे और दूसरा सलाम न फेरते हुए एक बार फिर से दो सजदे करने का नियम है और अंत में फिर अत्ताहिय्यात दुआए मस्कुरा और दुरूदे इब्राहिम को पढ़कर सलाम फेरना होता है।
अगर किसी मुसलमान भाई को दुआए क़ुनूत याद नहीं हो तो क्या पढ़े ?
अगर किसी बंदे को दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) जुबानी तौर पर याद नही तो ऐसे में आपको इसे जल्द से जल्द याद करने की तमाम कोशिश करनी चाहिए।वही ध्यान रहे जब तक आपको दुआए क़ुनूत ना याद हो जाए तब तक आपको इसकी जगह पर ये दुआ पढ़ना चाहिए
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
उर्दू अल्फाज हिंदी में : रब्बना आतिना फिद दुनिया हसनतव वफिल आखिरति हसनतव वकिना अज़ाबन नार
तर्जुमा– ऐ हमारे रब्ब आप हमें दुनिया में नेकी और आख़िरत में भी नेकी ही दे और हमें दोज़ख ले अज़ाब से बचाए रखे।
दुआए क़ुनूत रमज़ान में के दिनों में (Dua E Qunoot in Ramzaan’s Days)
1.आपको शायद इससे वाकिफ नहीं होगे की वित्र की नमाज़ जमात से पढ़ने की बंदे को पूरी इजाजत दी गई है।वही इस्लामिक मान्यता के अनुसार बाकी दिनों में इसे पढ़ने की हरगिज इजाजत नही दी गई है।वही वित्र की नमाज़ अगर आप रात में किसी वजह से न सके हो तो ऐसे में आप फ़ज़्र से पहले तहज्जुद के दौरान पढ़ लेना मुनासिब होता है।
2.रमजान मुबारक जैसे पाक महीने में जब ईशा की नमाज़ और तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) पढ़ने के लिए जब कोई मुसलमान भाई मस्जिद में तशरीफ़ रखते है।उसी दौरान अगर किसी वजह से आप थोड़ा मुक़र्रर समय से देरी से पहुंचते है और तब तक आपको अगर ईशा की फर्ज नमाज़ में आप शामिल न हो सके हो तो ऐसी स्थिति में बंदे को तरावीह की नमाज़ तो जमाअत से पढ़ना होगा।लेकिन वित्र की नमाज़ पढ़ते के दौरान जमाअत में शामिल नहीं होंगे।और वित्र वाज़िब नमाज़ अलग से पढ़ना होता है।
दुआ ए क़ुनूत का हिंदी तर्जुमा किस भाषा में पढ़ना वाजिब माना गया है ?
जैसा मैंने आपको पहले ही बताया ही दुआ ए क़ुनूत का हिंदी तर्जुमा हर बंदे को पढ़ना चाहिए अगर आप अरबी में दुआ ए क़ुनूत को याद नही कर सके है तो फिर आप इस के तर्जुमा को अवश्य पढ़े।अल्लाह ताला आपको अज्जावजल आपको और हमें इसका सवाब अता फरमाए
तर्जुमा –ऐ अल्लाह ताला, हम तुझ से मदद की चाह रखते है! और तुझ से अपनी गलतियों की माफी मांगते है।तुझ पर पूरा ईमान रखते है।और तुझ पर बेइंतिहा
भरोसा भी करते है।और तेरी बेहद प्रशंसा भी करते है।तेरा शुक्र है परवरदिगार और तेरी न हम सुकरी नहीं करते है और अलग करते है और छोड़ते भी नही ।ऐसे बंदे को जो तेरी नाफरमानी करें
ऐ अल्लाह हम सिर्फ और सिर्फ तेरी इबादत करते है और तेरे वास्ते ही नमाज़ अदा करते है।मेरा सर सिर्फ तेरे सजदे के लिए झुकता है।और तेरी और दौड़ते और झपटते है और तेरी रहमत की हम सदा उम्मीद करते है।और तेरे मुझे सिर्फ तेरे आजाब़ से डर लगता है।इसमें कोई शक नही कि तेरा आजाब़ काफिरों को पहुंचने वाला है।
दुआ ए क़ुनूत (Dua E Qunoot Hindi )पढ़ने के फायदे
- इस दुआ में अल्लाह का आशीर्वाद पाने के लिए ही असल में कलमे लिखे गए है ,जिन्हे पढ़कर अल्लाह का आशीर्वाद पाया जा सकता है।हमें पैगम्बर मोहम्मद साहब भी इस दुआ को पढ़ा करते थे,इसे इस दुआ को तवज्जो देने की वजह आप समझ ही गए होगे।इसलिए हम खुदा का आर्शीवाद पाने के लिए दुआ ए क़ुनूत पढ़ा करते है।
- आपको बता दे कि दुआ ए क़ुनूत को ईशा के समय वित्र की नमाज़ के साथ पढ़ने से घर में बेशुमार बरक्कत आती है।वही लोगो का ऐसा मानना है कि ये दुआ पढ़कर उनके घर मे अथाह बरक्कत हुई ह।अगर आप भी अपने घर में बरकत लाने के चाहत रखते है तो आप इसे अवश्य रूप से पढ़ा करिए
- इसे पढ़ने से आपको ढेरो फायदे पहुंचते है दुआ ए क़ुनूत को ईशा के समय वित्र की नमाज़ के साथ पढ़ते रहने से आपका स्वास्थ्य ठीक रहता है।और अगर आप किसी बीमारी से ग्रस्त है तो उससे भी मुक्ति मिलती है।कई ऐसी बीमारियां होती है जोकि लोगो का पीछा छोड़ने का मान नही लेती इन बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए ये दुआ काफी प्रभावी मानी जाती है।
- आपको बता दे की दुआ ए कुनूत हिंदी में कोईशा के समय वित्र की नमाज़ के साथ पढ़ने से खुदा पढ़ने वाले को हर बुरी नजर चीजों से बचाए रखता है।
- वही ये दुआ पढ़ने लिखने वाले बच्चों के लिए भी काफी कारगर साबित होती है ये बरक्कत वाली दुआ मानी जाती है। बहुतों का कहना है कि दुआ ए क़ुनूत पढ़ने से उनके काम और पढ़ाई दोनो में तरक्की आती है इसलिए आप भी अगर जीवन में कामयाबी चाहते है तो ये दुआ जरूर से पढ़ा करे।
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