रमजान का महीना सभी मुस्लिम भाई बहनो के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, रमजान के महीने में शबे कद्र की रात को इबारत की रात भी कहा जाता है| हर एक मुसलमान को शबे कद्र की नमाज़ का तरीका (shab e qadr ki namaz ka tarika) पता होना चाहिए, शबे कद्र की नमाज़ करने के फायदे बहुत सारे होते है| शबे कद्र की रात इसलिए भी महत्पूर्ण होती है क्योंकि ऐसा कहा जाता यही की इस रात इबादत करने से आपको हजारो रात की जाने वाली इबादत से भी ज्यादा सवाब मिलता है| शबे कद्र की रात में अल्लाह की जितनी हो सके उतनी इबादत करनी चाहिए, जिससे हमे ज्यादा से ज्यादा सवाब मिलें| हालाँकि सभी मुसलमानो को शबे कद्र की नमाज के बारे में पता होता है लेकिन अगर आपको शबे कद्र की नमाज का तरीका नहीं पता है तो हमारा यह लेख आपके लिए ही है|
क्योंकि आज हम अपने इस लेख में शबे कद्र की नमाज़ का तरीका (shab e qadr ki namaz ka tarika) बताने के साथ साथ शबे कद्र की नमाज़ की नियत, शबे कद्र की नमाज़ की रकत कितनी होती है, शबे कद्र की नमाज के फायदे इत्यादि की जानकारी उपलब्ध करा रहे है| यह तो हम सभी जानते ही है की इस्लाम में अल्लाह को राजी करने के लिए नमाज पढ़ी जाती है| हर मुसलमान को नमाज पढ़ना जरुरी है लेकिन सुन्नत, नफिल जैसी नमाजो को अदा करने से बहुत ज्यादा सवाब मिलता है इसलिए इन्हे करना भी जरूरी होता है| शबे कद्र की नमाज का तरीका के बारे में बताने से पहले हम आपको शबे कद्र की नमाज़ का समय, शबे कद्र की नमाज़ में नियत और शबे कद्र की नमाज़ में कितनी रकत होती है इत्यादि के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है –
Contents
शबे कद्र की नमाज़ का समय कया है ? What is the timing of Namaaz of Shab E Qadr
यह हम सभी जानते ही है की इस्लाम धर्म में हर चीज का एक सही वक्त तय करा गया है, जैसे पाँचो वक़्त की नमाज का समय भी तय होता है और उस तय समय पर ही नमाज पढ़ी जाती है| ऐसे ही शबे कद्र की नमाज पड़ने का समय भी तय किया गया है, शबे कद्र की नमाज (shab e qadr ki namaz ka tarika) पढ़ने से बहुत ज्यादा सवाब मिलता है इसीलिए इस नमाज को पढ़ना सभी मुसलमानो के लिए जरुरी होता है| आज भी काफी सारे लोग ऐसे भी है जिन्हे शबे कद्र की नमाज का वक़्त नहीं पता होता है ऐसे में वो मौलवियो या घर के बुजुर्गो से शबे कद्र की नमाज का सही समय पूछते है अगर आप भी ऐसे इंसानो में शामिल है जिन्हे शबे कद्र की नमाज का समय नहीं पता है तो हम आपको नमाज का वक़्त बताते है|
यह तो हम सभी को पता है की शबे कद्र की रात मगरिब के समय से शुरू होकर फज्र तक रहती है, इसीलिए शबे कद्र की नमाज मगरिब से लेकर फज्र के दरमियान पढ़ी जाती है| लेकिन खास ख्याल रखें की शबे कद्र की नमाज अफजल ईशा की नमाज अदा करने के बाद ही पढ़ी जाती है, ऐसा कहा जाता है की तनहाई में की गई इबादत को अल्लाह सबसे ज्यादा पसंद करते है| अधिकतर मुसलमान ईशा की नमाज के बाद तरावीह की नमाज पड़ते है और उसके बाद शबे कद्र की नमाज अदा करते है|
शबे कद्र की नमाज़ की रकत – Raqaat for Namaaz of Shab E Qadr
इस्लाम में जितनी भी नमाज है उन सभी की रकत अलग अलग होती है, आप अपने मन या हिसाब से रकत को कम या ज्यादा नहीं कर सकते है| हालाँकि कुछ खास नमाज जो इबादत के लिए होती है जैसे नफिल नमाज, इस नमाज को आप चाहे कितनी बार अदा कर सकते है दूसरी तरफ फर्ज नमाज है इसकी रकत तय की गई है आप तय रकत से ज्यादा नहीं पढ़ सकते है, इसी तरह पांचो वक़्त की नमाज की रकत भी तय है आप केवल उन्हें ही पढ़ सकते है| शबे कद्र की नमाज (shab e qadr ki namaz ka tarika) को इबादत की नमाज होती है इसीलिए इसमें काफी तरह की रकत होती है जैसे 2, 4, 8, 10, 12, 14 .. 50 रकत| इनमे से कितनी भी रकत आप शबे कद्र की नमाज में पढ़ सकते है| चलिए अब हम आपको बताते है की शबे कद्र की नमाज में कितनी रकत पढ़नी चाहिए इसके बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है-
शबे कद्र की नमाज़ की रकत कितनी पढ़नी चाहिए ?
कुछ इंसानो के मन में यह सवाल होता है की शबे कद्र की नमाज में कितनी रकत पढ़नी चाहिए या शबे कद्र की नमाज़ की रकत कितनी होती है? तो हम आपको बता दें की शबे कद्र की रात आप जितनी ज्यादा रकाते नमाज अदा करते है उतना ज्यादा सवाब मिलता है| शबे कद्र की नमाज में आप 2, 4, 6, 8, 10, 12 ….50 रकत पढ़ सकते है| चलिए अब हम आपको शबे कद्र की नमाज के बारे में बताते है –
शबे कद्र की नमाज़ का तरीका इन हिंदी – Shab e Qadr ki Namaz Padhne ka Tarika in Hindi
इस्लाम धर्म में अलग अलग तरह की नमाज होती है जैसे फर्ज और सुन्नत इत्यादि की नमाज लेकिन कुछ खास नमाज भी होती है जैसे नफील की नमाज| नफील की नमाज की अहमियत और फायदे फर्ज और सुन्नत की नमाजो से काफी ज्यादा होती है, रमजान के पाक महीने में शबे कद्र की नमाज अदा की जाती है, नफील की नमाज को आप जितना ज्यादा पढेंगे उतना ही ज्यादा आपको सवाब मिलता है|
चलिए अब हम आपको शबे कद्र की नमाज का तरीका इन हिंदी (shab e qadr ki namaz ka tarika) के बारे में बताते है, रमजान के माह में आने वाली शबे कद्र की रात में पढ़ी जाने वाली नमाज से बहुत ज्यादा सवाब और बरकत मिलती है| कई सारी नमाज ऐसी भी होती है जिन्हे शबे कद्र की रात अदा करने से गुनाह माफ़ हो जाते है, इस रात सभी मुस्लिमो को ज्यादा से ज्यादा खुदा की इबादत करनी चाहिए, चलिए अब हम आपको शबे कद्र की नमाज का तरीका बताते है –
Shab e qadr ki namaz ka tarika Ya lailatul Qadr ki Namaz ka Tarika
1 – शबे कद्र की नमाज अदा करने से पहले अच्छी तरह से वजू कर लें, वजू करने के बाद किसी पाक साफ जगह पर जानेमाज़ बिछा लें और खड़े हो जाएं|
2 – अब आपको जितनी भी रकत की नमाज पढ़नी है उसकी नियत कर लें|
3 – जब नियत हो जाएं तो उसके बाद नमाज अदा करें, शबे कद्र की नमाज की रकत आप कितनी भी पढ़ सकते है|
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ शबे क़द्र की नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त मौजूदा , मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।
नियत करके अल्लाह हू अकबर कहकर हाथ बांध लेना है ! फिर सना पढ़ना है !
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*
इसके बाद *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !
फिर सूरए फातिहा के बाद सूरए क़द्र तीन मर्तबा और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ 50 मर्तबा पढे !
दूसरी रकअत में भी सूरए फातिहा के बाद सूरए क़द्र 3 मर्तबा पढे और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ 50 baar पढे !
दो रकअत पूरी होने के बाद – क़अदा ऊला में तशह्हुद पढे ! और दुरूद व दुआ पढ कर खडे हो जाए !
फिर सना से तीसरी रकअत शुरू करे, यानी की तीसरी रकअत में पहले
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका* पढ़े !
फिर सूरह फातिहा पढ़े ! उसके बाद जैसे पहली दो रकअत नमाज़ अदा की उसी तरह बची हुई दो रकअत अदा करेंगे !
इसी तरह से 4 चारो रकअत में सूरए फातिहा के बाद सूरए क़द्र तीन मर्तबा और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ पचास मर्तबा पढेंगे !
फिर एक बार ये तस्बीह पढ़े:
सुब्हानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर
और अल्लाह से रो-रोकर दुआ कीजिये ! नबीये करीम मुहम्मद सल्ललाहो अलैहि व सल्लम के सदके में अल्लाह सबकी जायज़ दुआ क़ुबूल अता फरमाए आमीन !
शबे कद्र की नमाज कैसे पढ़नी चाहिए
शबे कद्र की रात इबादत की रात होती है इसलिए शबे कद्र कि रात में नफिल नमाज अदा की जाती है| नफील नमाज़ पड़ने का तरीका एक जैसा ही होता है लेकिन कुछ किताबों में शबे कद्र की नमाज के अलग अलग तरीके बताए हैं, इसीलिए आप हमारे द्वारा बताए गए तरीके से नमाज अदा कर सकते है या आपके आस पास जो भी मौलवी मौजूद हो तो आप उनसे नफील नमाज अदा करने का तरीका (shab e qadr ki namaz ka tarika) पता कर सकते है| अगर आपको कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है तो आप आम नफिल नमाजो की तरह ही शबे कद्र की नमाज अदा कर सकते है, इस तरह से नफील नमाज अदा करने से भी आपको उतना ही सवाब मिलता है|
शबे कद्र की नमाज के फायदे
यह तो आपने ऊपर जान ही लिया है की शबे कद्र की रात नफील नमाज अदा की जाती है, जिसे अदा करने के बहुत सारे फायदे होते है, जिनमे से कुछ फायदे हम आपको बता रहे है –
1 – शबे कद्र की नमाज (shab e qadr ki namaz ka tarika) अदा करने से अज़ीम सवाब हासिल होता है।
2 – इस रात नमाज पड़ने से इंसान के गुनाह माफ़ हो जाते है।
3 – शबे कद्र की रात इबादत करने से सुकरात मौत आसान जाती है।
4 – कुछ लोगो का मानना है की शबे कद्र की रात नमाज अदा करने से कब्र के आजाब से हिफाजत होती है।
5 – इस रात इबादत करने से जो भी दुआ होती है वो बहुत जल्द कबूल हो जाती है।
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