अगर आप शबे बरात की नमाज़ का तरीका (shab e barat ki namaz ka tarika in Hindi ) ढूंढ रहे है तो हमारा यह लेख आपके लिए फायदेमंद साबित होगा| शाबान माह की 15वीं रात को शबे बरात होती है जिसे सभी मुस्लिम भाई बहन उल्लास से मनाते है, शबे बरात की पूरी रात इबादत और तिलावत में गुजारी जाती है|
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Shab e Barat ki Namaaz
शबे बरात की रात को इबादत की रात भी कह सकते है क्योंकि इस रात इंसान पूरी रात खुदा की इबादत करता है, शबे बरात में अदा की जाने वाली नमाज को नफिल नमाज कहा जाता है| ऐसा माना जाता है की शबे बरात की रात में आप जितनी ज्यादा नमाज पड़ेंगे उतना ही ज्यादा आपको सवाब मिलेगा, शबे बरात की रात नमाज (shab e barat ki namaz ka tarika ) अदा करने के फायदे भी बेशुमार होते है|
शबे बरात की रात सूर्यास्त के समय से शुरू हो जाती है और सुबह समाप्त हो जाती है, इस रात सभी मुस्लिम भाई बहन सोते नहीं है| सभी उस रात खुदा की इबादत करने में बिताते है, इस रात सोना मना होता है| हालाँकि अगर कोई बीमार या मजबूर है तो उसके लिए पूरी रात खुदा की इबादत करना जरुरी नहीं वो आराम या सो सकता है| शबे बरात की रात सभी मुस्लिम जागते है और कोई सोता है तो उसे भी उठा कर खुदा की इबादत और तिलावत करने के लिए बोलते है|
शबे बरात की रात को गुनाहो की माफी की रात भी मानी जाती है, इस रात में खुदा सभी इंसानो का साल भर के गुनाहो का लेखा जोखा तैयार करता है| फिर उनके गुनाहो के हिसाब से सजा देता है इसीलिए शबे बरात की नमाज अदा करना हर मुस्लिम के लिए जरुरी है| शबे बरात की रात नमाज पढ़ने से खुदा उस इंसान के गुनाह माफ कर देता है और मांगी गई दुआएं भी कबूल हो जाती है| सभी मुस्लिम भाई बहनो के लिए शबे बरात की रात बहुत ही खास होती है, हालाँकि लगभग सभी को शबे बरात की नमाज की अहमियत अच्छे से पता होती है लेकिन आज के समय में कुछ मुसलमान ऐसे भी है जिन्हे शबे बरात में नमाज का तरीका (shab e barat ki namaz ka tarika in hindi ) पता नहीं होता है|
अगर आपको भी शबे बरात में नमाज पढ़ने का सही तरीके के बारे में जानकारी नहीं है तो उदास ना हो चलिए अब हम आपको नमाज का तरीका बताने के साथ साथ कई अन्य जरुरी जानकारी भी बताने जा रहे है –
Shab e Baraat Kyon Manai Jaati Hai?-
शभं माह में आने वाली शबे बरात की रात सभी मुस्लिमो के लिए बेहद खास रात होती है, क्योंकि यह रात गुनाहो के हिसाब किताब की रात मानी जाती है| शबे बरात की रात में अल्लाह ताला सभी लोगों के द्वारा किए गए गुनाहो का साल भर का हिसाब-किताब करते है, इसीलिए सभी लोग शबे बरात की रात में इबादत करते हैं, जिससे उनके द्वारा किए गुनाह खुदा माफ़ कर दें| शबे बरात की रात सभी मुस्लिम भाई बहन जागते है और खुदा की इबादत करते रहते है|
Shab e Baraat ki Namaz ki Raqat in Hindi
कुछ मुसलमान ऐसे भी है जिनके मन में यह सवाल होता है की शबे बरात की रात की नमाज में कितनी रकत होती है? दरसल शबे बरात की नमाज नफील नमाज़ होती है, इसलिए शबे बरात की नमाज (shab e barat ki namaz ka tarika in Hindi ) में रकत फिक्स नहीं होती है, इस रात आप जितनी ज्यादा से ज्यादा रकत पढ़ सकते है उतनी पढ़ें, जितनी ज्यादा रकत पढ़ेंगे आपको उतना ही सवाब मिलेगा|
शबे बरात की रात इबादत की रात होती है इस रात आप जितनी ज्यादा रकत पढेंगे उतना ही ज्यादा सवाब मिलता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की आप पूरी रात रकत ही पढ़ते रहें| इस रात को सबसे ज्यादा मुबारक और फजीलत वाली रात माना जाता है, शबे बरात की रात में तिलावतें और इबादत भी जरूर करनी चाहिए| रकत आप जितनी ज्यादा पढ़ें बेहतर है लेकिन प्रत्येक मुसलमान को कम से कम 20 रकत नफिल नमाज जरूर अदा करनी चाहिए, इसके अलावा कुरान, सुरह यासीन, सुरह मुल्क, सुरह मुजम्मिल जैसी चीजों की तिलावत करें|
Shab e Baraat ki Namaz ki Timing
अगर आपको यह नहीं पता है की शबे बरात की नमाज़ कब पढ़ें तो हम आपको बता दें की यह रात इबादत की रात होती है इसलिए शबे बरात की नमाज (shab e barat ki namaz ka tarika) आप शबे बरात की पूरी रात में कभी भी और किसी भी समय पढ़ सकते हैं| यह तो आप जानते ही है की शबे बरात की रात मगरिब के वक्त से शुरू होकर फज्र के वक्त तक रहती है, इस बीच में आप जब चाहे तब शबे बरात की नमाज को पढ़ सकते है|
Shab e Baraat ki Namaz ka Tarika in Hindi
- शबे बरात की नमाज (shab e barat ki namaz ka tarika) पढ़ने के लिए सबसे पहले बिस्मिल्लाह कर के सही और अच्छे तरीके से वजू कर लें, फिर किसी पाक और साफ़ सुथरी जगह पर जानेमाज़ बिछाकर नमाज के लिए सीधे खड़े हो जाएं|
- नमाज के लिए खड़े होने के बाद पहले सना पढ़ लें, फिर एक मर्तबा सूरह फातिहा को पढ़ें उसके बाद कोई एक सुरह जो आपको याद हो उसे भी पढ़ लें|
- जब सौराह पूरी हो जाएं तो उसके बाद आप रुकु में जाकर तीन बार सुबहाना रब्बी यल अज़ीम पढ़ लें, सुबहाना रब्बी यल अज़ीम पढ़ने के बाद खड़े हों जाएं और सजदे में जाएं, दो बार सजदा करें उसके बाद अल्लाह हू अकबर बोलते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं|
- दूसरी रकात में आपको केवल एक बार सूरह फातिहा और अपनी बाद की कोई एक सुरह को पड़ना है, सौराह पढ़ने के बाद रुकु में जाएं और फिर खड़े हो कर सजदा करें, सजदा दो बार करने है और उसके बाद तशहुद में बैठ जाएं|
- तशहुद में बैठने के बाद सबसे पहले आपको अत्तहियात पढ़नी है फिर दुरुद शरीफ पढ़नी है और अंत में दुआ ए मासुरा पढ़कर सलाम करें|
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Shab e Baraat ki Namaaz ke Fayde
शबे बरात के रात नमाज पढ़ने के बहुत सारे फायदे होते है, चलिए अब हम आपको शबे बरात की नमाज के कुछ फायदों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
- शबे बरात की नमाज (shab e barat ki namaz ka tarika) पढ़ने से बहुत ज्यादा सवाब मिलता है।
- आपके द्वारा किए गए जाने अनजाने में किए गुनाह को बख्श दिया जाता है|
- शबे बरात की रात पढ़ी गई नमाज और इबादत का सवाब मौत के बाद भी मिलता है|
- आपके द्वारा मांगी गई दुआ जल्द कबूल होती है|
- रिज़्क में बरकत होने के साथ साथ कामयाबी भी जल्द मिलती है|
शबे बारात की रात में कब्रिस्तान में हाज़िरी देना
शबे बरात की रात बड़ी अज़मत वाली रात मानी जाती है, ऐसा कहा जाता है की इस रात को इबादत और रियाज़त में गुज़ारना चाहिए, शबे बरात की रात में कब्रिस्तान में भी जरूर जाना चाहिए| शबे बरात की रात प्यारी रहमत और बरकत वाली रात होती है, इस रात में खुदा अपने बंदो के लिए फज़ले करम और रहमत के सभी दरवाजे खोल देता है। ऐसा कहा जाता है की इस रात रहमते इलाही आसमान से बन्दों को आवाज़ देती है और बोलती है की कोई बख्शिश मांगने वाला हो तो मैं उसे बख्श दूं, कोई मुसीबत में हो तो मैं उसकी मुसीबत दूर कर दूं अर्थात आप इस तरह भी समझ सकते है की शबे बरात की रात में खुदा अपने बंदो के गुनाह माफ़ करता है और काम में बरक्कत लाता है। कब्रिस्तान में जाकर आपको साहिबे मज़ार के पैरों की तरफ से जाकर मय्यत के मुंह के सामने खड़ा हो जाएं, मय्यत के मुंह के सामने खड़ा होने कारण यह है की अगर आप पीछे खड़े होंगे तो आपको देखने के लिए साहिबे मज़ार को गर्दन फेर कर देखना पड़ेगा। मय्यत के सामने खड़े होकर ग्यारह बार सूरए अखलास पढ़ें, जिससे सूरह का सवाब मुर्दों को भी मिले और मुर्दों की गिनती के बराबर सवाब आपको भी मिलता है|
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