इस्लाम में हर एक बालिग़ मुस्लिम मर्द को जुम्मे की नमाज पढ़ना फर्ज बताया है| जुम्मे की नमाज बहुत ज्यादा खास होती है और इसे अदा करने से आपको बहुत ज्यादा सवाब मिलता है| चलिए आज हम आपको जुम्मे की नमाज पढ़ने का तरीका बताने जा रहे है| जुम्मे की नमाज पढ़ने का तरीका (jumma ki namaz ki rakat aur tarika) बताने से पहले हम आपको जुम्मे के बारे में जानकारी दे रहे है
Contents
- 1 जुम्मे का दिन क्यों खास है (Jumma ki Namaz ki Rakat aur Tarika)
- 1.1 जुम्मे की नमाज का वक्त – Jumme ki Namaz ka Waqt
- 1.2 जुम्मा की नमाज़ का तरीका हिंदी में( jumme ki namaz ki rakat aur tarika in hindi)
- 1.3 जुम्मे की नमाज़ का तरीका (namaz e jumma ka tarika)
- 1.4 जुम्मा की नमाज़ और दूसरे नमाज़ों में फर्क
- 1.5 जुम्मा की नमाज में ध्यान रखने वाली बातें
जुम्मे का दिन क्यों खास है (Jumma ki Namaz ki Rakat aur Tarika)
एक हफ्ते में 7 दिन होते है वैसे तो सभी दिन खास होते है लेकिन इस्लाम में शुक्रवार या जुम्मा को बेहद खास दिन माना जाता है, जुम्मा के दिन को बहुत बड़ी फज़ीलत वाला दिन या कुछ लोग इसे छोटी ईद का दिन भी मानते है| इसीलिए जुम्मे की नमाज (jumma ki namaz ka tarika) पढ़ना हर बालिग मर्द पर फ़र्ज़ है| जुम्मे की नमाज पढ़ने की फजीलत जोहर की नमाज से भी काफी ज्यादा होती है, और जो इंसान जुम्मे की नमाज नहीं पढता है या पढ़ने से इंकार करता है उसे इस्लाम में काफी कहा जाता है|
जुम्मे की नमाज का वक्त – Jumme ki Namaz ka Waqt
जुम्मे की नमाज पढ़ने का तरीका (jumme ki namaz ka tarika) जानने से पहले आपको जुम्मे की नमाज का सही वक़्त कई है इसके बारे में जानना बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि अगर कोई भी इंसान सही वक़्त पर जुम्मे की नमाज अदा नहीं करता है तो उसकी नमाज की फ़ज़ीलत उस इंसान को नहीं मिलती है| जुम्मे की नमाज का वक़्त अलग अलग देशो में अलग अलग होता है हम आपको भारत के टाइम के बारे में जानकारी दे रहे है| भारत में जुम्मे की अज़ान का वक़्त दिन में 12:30 PM होता है| जुम्मे की नमाज को आप अकेले नहीं पढ़ सकते है जुम्मे की नमाज़ फ़र्ज़ होती है और जुम्मे की नमाज को जमात के साथ ही पढ़ा जाता है, अगर कोई शख्स इमाम के पीछे खड़े होकर अकेला इस नमाज को अदा करता है तो उसकी नमाज अदा नहीं मानी जाती है| अगर आप किसी भी वजह से मस्जिद में नहीं जा सकते है तो आपको जुम्मे की नमाज अदा नहीं करनी चाहिए ऐसे में आप घर पर रहकर जोहर की नमाज़ अदा कर सकते है| जब जुम्मे की अजान हो जाती है तो उसके बाद लगभग 30 मिनट से 45 मिनट का खुतबा और तकरीर किया जाता है, खुतबा और तकरीर के बाद ही जुम्मे की नमाज़ के लिए सफ तैयार किया जाता है| लगभग सभी जगहों पर दोपहर 1 बजे से 1:15 बजे तक जमात खड़ी हो जाती है और यह समय बदलता नहीं है, चाहे सर्दी का मौसम हो या गर्मी का मौसम हो जमात के खड़ा होने का समय यहीं होता है| लेकिन अगर दुनिया भर के देशो की बात करें तो समय अलग अलग फिरका के अनुसार बदल जाता है| जुम्मे की नमाज का वक़्त 12:30 PM से शुरू हो कर असर की नमाज़ से पहले पहले तक बताया गया है|
जुम्मा की नमाज़ का तरीका हिंदी में( jumme ki namaz ki rakat aur tarika in hindi)
इस्लाम में पांचो वक़्त की नमाज हर मुस्लिम पर फर्ज बताई गई है, जिस तरह से हर दिन की नमाज अदा करना जरुरी है उसी तरह से जुम्मे की नमाज अदा करना भी एक एक मुस्लिम के लिए बहुत ज्यादा जरुरी है| जुम्मे की नमाज की फजीलत और दिनों के मुकाबले काफी ज्यादा होती है, जुम्मे की नमाज पढ़ने से पहले आपको जुम्मे की नमाज पढ़ने का सही तरीका (jumma ki namaz ki rakat aur Tarika) मालुम होना बहुत जरुरी है क्योंकि अगर आपको जुम्मे की नमाज पढ़ने का तरीका मालुम नहीं होगा तो आपकी नमाज क़ुबूल नहीं होगी या आपको नमाज की फजीलत नहीं मिलेगी| काफी मुसलमानो को यह पता नहीं होता है की जुम्मा की नमाज़ में कितनी रक्त होती है, चलिए सबसे हम आपको जुम्मे की नमाज में रकत (jumme ki namaz ki rakat) के बारे में जानकारी दे रहे है |
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जुम्मा नमाज़ में कितने रक्त होते है (namaz e jumma me rakat)
वैसे तो जुम्मे की नमाज के बारे में अधिकतर मुसलमानो को पता होता है लेकिन कुछ मुसलमानो को जुम्मे की नमाज में रक्त के बारे में जानकारी नहीं होती है अगर आपको भी रक्त के बारे में जानकारी नहीं है तो परेशान ना हो अब हम आपको जुम्मे की नमाज में कितनी रक्त होती है इसके बारे में बताते है| जुम्मा की नमाज में जुहर की नमाज की तरह 14 रकत होती है, जुम्मे की नमाज में दो रक्त फर्ज की होती है इसीलिए जुम्मे की नमाज में टोटल 16 रक्त होती है| हर एक नमाज की नियत अलग होती है, इसलिए जुम्मे की नमाज रक्त के बारे में जानने के बाद आपको जुम्मे की नमाज की नियत के बारे में भी पता होना चाहिए, लेकिन एक बात का khyal हमेशा रखें की जुम्मे की नमाज अकेले में नहीं पढ़ी जाती है, अगर आप मस्जिद में नहीं जा सकते है तो घर पर जुम्मे के दिन जुम्मे की नमाज की नियत ना करें| घर पर जुहर की नमाज पढ़ सकते है इसीलिए जुम्मे के दिन जुहर नमाज़ की नियत कर लें उसके बाद जुहर की नमाज अदा करें| जुम्मे की नमाज पढ़ने का तरीका बताने से पहले हम आपको जुम्मे की नमाज की नियत के बारे में बताते है
जुम्मा की नमाज़ की नियत – Jumme ki Namaz ki Niyat
इस्लाम में किसी भी नमाज को अदा करने से पहले उस नमाज की नियत करना बहुत ज्यादा जरुरी है अगर आप नमाज से पहले नियत नहीं करते है तो आपको नमाज की फजीलत नहीं मिलती है| नीचे हम आपको जुम्मे की नमाज की नियत के बारे में बताने जा रहे है, नीचे बताई जा रही सभी नियत को धयान से पढ़कर याद कर लें, फिर जुम्मे की नमाज पढ़ने से पहले नियत कर लें, बिना नियत करें नमाज बिलकुल भी ना पढ़ें
मस्जिद में दाखिल होने की 2 रकात सुन्नत की नियत
इस्लाम में नियत करना सबसे जरुरी बताया है, जब भी आप नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में जाते है तो मस्जिद में दाखिल होने से पहले आपको मस्जिद में दाखिल होने की नियत करनी चाहिए| चलिए अब हम आपको मस्जिद में दाखिल होने की दो रकात की नियत के बारे में नीचे बता रहे है
“नियत की मैंने दो रकआत मस्जिद में दाखिल होने की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 4 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत
मस्जिद में दाखिल होने की नियत करने के बाद मस्जिद में दाखिल हो जाएं| अब हम आपको जुम्मा की चार रकात सुन्नत नमाज की नियत के बारे में जानकारी दे रहे है, चार रकात की नमाज अदा करने से पहले चार रकात नमाज की नियत जरूर करें, नीचे बताई जा रही जुम्मा की चार रकात सुन्नत नमाज की नियत को याद कर लें
“नियत की मैंने चार रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात फर्ज नमाज की नियत
अगर आप जुम्मे की दो रकात फर्ज की नमाज अदा कर रहे है तो उससे पहले आपको जुम्मे की दो रकात फर्ज की नियत नमाज से पहले करनी होती है, अगर आपको जुम्मे की दो रकात फर्ज की नियत के बारे में जानकारी नहीं है तो नीचे हम आपको जुम्मा की दो रकात फर्ज की नियत बता रहे है
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज जुम्मा की फर्ज पीछे इस इमाम के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 4 रकात सुन्नत नमाज की नियत
चलिए अब हम आपको जुम्मे की चार रकात सुन्नत नमाज की नियत के बारे में बता रहे है, नीचे बताई जा रही जुम्मा की 4 रकात सुन्नत नमाज की नियत को चार रकात सुन्नत नमाज से पहले कर लें
“नियत की मैंने चार रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत
अब हम आपको जुम्मे की दो रकात सुन्नत नमाज की नियत के बारे में जानकारी दे रहे है, जुम्मे की दो रकात सुन्नत की नमाज अदा करने से पहले 2 रकात सुन्नत नमाज की नियत जरूर करें
“नियत की मैंने दो रकआत नमाज जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मा की 2 रकात नफिल नमाज की नियत
नीचे हम आपको जुम्मे की दो रकात नफिल नमाज की नियत के बारे में बता रहे है, जुम्मे की दो रकात नफिल नमाज को अदा करने से पहले नीचे बताई जा रही है जुम्मे की दो रकात नफिल नमाज की नियत करें
“नियत की मैंने दो रकआत नमाजे जुम्मा की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”
जुम्मे की नमाज़ का तरीका (namaz e jumma ka tarika)
अगर आपको Jumme ki namaz ka tarika पता नहीं है तो परेशान ना हो अब हम आपको जुम्मे की नमाज़ पढ़ने का तरीका के बारे में बताते है| जुम्मे की नमाज रकात के हिसाब से पड़ी जाती है, इस्लाम में हर एक नमाज को पढ़ने से पहले वजू करना जरुरी है उसी तरह जुमे की नमाज़ पढ़ने से पहले वजू करना जरुरी है, अगर कोई भी शख्स वजू के बिना नमाज अदा करता है तो उसकी नमाज मुक्कमल नहीं मानी जाती है| वजू को कभी भी जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए क्योंकि जल्दबाजी में गलती हो सकती है, इसीलिए वजू इत्मीनान से और अच्छे तरीके से करना चाहिए| जुम्मे की नमाज अदा करने से पहले घर पर आराम से वज़ु करें फिर मस्जिद में जुम्मे की नमाज अदा करने जाएं|
मस्जिद में दाखिल होने की 2 रकात की नमाज़
इस्लाम में मस्जिद को सबसे अहम् बताया है, मस्जिद में दाखिल होने की वजह से कुछ लोग इसे सुन्नत भी बोलते है| जुम्मे की नमाज में सबसे पहले यह दो रकात पढ़ें, नीचे बताई जा रही रकात को पढ़ना बहुत जरुरी है
क्युकी एक नबी सल्लाहू अलैहे वसल्लम ने जुम्मा के दिन खुतबा रहे है तभी एक सहाबा आए तो बैठ गए कोई भी नमाज़ नहीं पढ़े तो फिर आपने उनसे कहा की इमाम जब तक मेंबर पर नहीं चढ़ जाता है तक आप नमाज़ पढ़ सकते है. और आपने सबसे पहले 2 रकात सुन्नत नमाज़ पढवाया फिर बोले इसके बाद और पढ़ना है तो पढ़ सकते है.
जुम्मा की नमाज़ से पहले 4 रकात सुन्नत
मस्जिद में दाखिल होने की सुन्नत पढ़ने के बाद आपको चार रकात जुम्मा की सुन्नत पड़नी है, चार रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका वो ही है जो आप रोजाना पांचो वक़्त की नमाज पढ़ते है|
जुम्मा की 2 रकात फ़र्ज़ की नमाज़
जुम्मा की दो और चार सुन्नत पढ़ने के बाद अब दो रकात फ़र्ज़ की पढ़नी है, जुम्मे की दो रकात फर्ज की नमाज अदा करने के लिए आपको वैसे वैसे करना है जैसे जैसे मस्जिद के इमाम साहब करते है| इमाम साहब जब सजदे में जाएं तब आपको भी सजदा करना है जब इमाम साहब रुकू में जाएं तो आपको भी रुकू में जाना है यानी आपको इमाम साहिब के अनुसार करना है| जुम्मा की खुतबा खत्म हो जाने के बाद अज़ान की तकबीर होती है, जिसके बाद सभी लोग खड़े हो जाते है, फिर सभी को दो रकात फ़र्ज़ की नियत करनी होती है| दो रकात फर्ज की नियत के बारे में हमने आपको ऊपर बताया है, ऊपर बताई गई दो रकात फर्ज नमाज की नियत कर लें|
दो रकात फर्ज नमाज की नियत करने के बाद आपको सना पढ़नी है और सना पढ़ने के बाद आपको आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम फिर बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ कर चुप हो जाना है|
उसके बाद मस्जिद के इमाम साहब सुरह फातिहा और कुरान की सूरत मिलाते है, आपको कुछ नहीं बोलना है आपको चुप रहना है, उसके बाद इमाम साहब अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाते है तब आपको भी रुकू में जाना है|
रुकू करते समय आपको 3 या 5 बार सुबहाना रब्बियल अज़ीम पढ़ना है, फिर उसके बाद जब इमामसाहब खड़े होते हुए समिल्लाहु लिमन हमीदा पद लें तब आपको रब्बना लकल हम्द कहना होता है|
उसके बाद इमाम साहब अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे के लिए जाते है तो आपको भी सजदे में चले जाना होता है| सजदे में आपको 3 या 5 बार सुब्हान रब्बि यल आला कहना है|
इसके बाद आपको अल्लाह हुअक्बर कहते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाना है और इस बार आपको चुप रहना होता है इसमें इमाम साहब सुरह फातिहा और कोई एक सुरह को पढ़ते है|
फिर आपको वैसे ही रुकू और सजदा करना है जैसे आपको ऊपर बताया गया है, लेकिन इस बार के सजदे में थोड़ा बदलाव होगा, इस बार के सजदे में आपको अपने पंजो पर बैठ जाना है और बैठने के बाद अत्तहिय्यत फिर दरुदे इब्राहीम पढ़नी है और आखिर में दुआ ए मशुरा पढ़ना है|
दुआ ए मशुरा पढ़ने के बाद इमाम साहब अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाहिने जानिब और फिर बाये जानिब बोलते है जिसका मतलब है की आपको भी ऐसे करना होता है| बस अब आपकी जुम्मा की 2 रकात फ़र्ज़ की नमाज़ मुकम्मल हो गई है|
फिर उसके बाद इमाम साहब जब तक दुआ के लिए अपने हाथ नहीं उठाते है तब तक आप 33 बार सुबानाल्लाह, 33 बार अल्हम्दुलिलाह और 34 बार अल्लाह हुअक्बर पढ़ लें उसके बाद जब इमाम साहब दुआ के लिए अपने हाथ उठाए तो आप भी अपने हाथ उठा कर दुआ मांग लें|
जुम्मा की नमाज की 4 रकात सुन्नत
जुम्मे की दो रकात फर्ज नमाज पढ़ने से आपकी जुम्मा की नमाज पूरी नहीं हो जाती है, दो रकात फर्ज की नमाज पढ़ने के बाद आपको 4 रकात सुन्नत की नमाज़ पढ़नी होती है, चलिए अब हम आपको चार रकात सुन्नत नमाज का तर्क बताते है, सबसे पहले आपको सुन्नत नमाज की नियत करनी है, चार रकात सुन्नत नमाज की नियत नीचे दी जा रही है
“नियत की मैंने चार रकात नमाज़ ज़ोहर की सुन्नत वास्ते अल्लाह ताला के मुह मेरा तरफ़ क़ाबा शरीफ के अल्लाहु अकबर”
चार रकात सुन्नत नमाज की नियत करने के बाद अपने दोनों हाथों को कानो तक उठा लें और नीचे बताए जा रहे तरीके को अपनाएं
सबसे पहले सना (सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका) पढ़ लें|
सना पढ़ने के बाद आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम और बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ लें|
फिर उसके बाद सुरह फातिहा (अलहम्दो लिल्लाहे) पढ़ लें, सौराह फातिहा पढ़ने के बाद आमीन पढ़े फिर बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ लें|
उसके बाद अपनी बाद की कुरान शरीफ की कोई भी छोटी या बड़ी सूरत को पढ़ लें|
उसके बाद रुकू में चलें जाएं, उसके बाद 3 या 5 बार सुबहाना रब्बियल अज़ीम पढ़ लें, उसके बाद समिल्लाहु लिमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाए और फिर खड़े होने बाद रब्बना लकल हम्द बोलें| उसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में चले जाए और दोनों सजदे के दरमियान 3 या 5 बार सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ लें| बस अब आप दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाए
दूसरी रकात
दूसरी रकात में आपको सबसे पहले ऊपर बताए गए तीसरे स्टेप से लेकर सातवें स्टेप को बिलकुल वैसे ही करना है जैसा बताया गया है|
सजदा करने के बाद आपको अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने पंजो पर बैठ जाना है|उसके बाद अत्तहिय्यत या तशहुद पढ़ लें फिर खड़े हो जाएं
बस इस तरह से 2 रकात सुन्नत मुकम्मल हो जाती है| अब आप तीसरी रकात में जाएंगे
तीसरी रकात
तीसरी रकात में जाने के लिए सबसे पहले आपको पहली रकात में जो तीसरे से सातवें स्टेप को करना है| उसके बाद आप चौथे रकात के लिए खड़े हो जाएंगे
चौथी रकात
चौथी रकात में आपको सबसे पहले पहली रकात के तीसरे से सातवें स्टेप को करना है|
सजदा करने के बाद आपको अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने पंजो पर बैठ जाना है|बैठने के बाद आपको अत्तहिय्यत या तशहुद पढ़ना है|
फिर उसके बाद दरुदे इब्राहीम पढ़ लें|
उसके बाद दुआ इ मशुरा पढ़ लें|
फिर उसके बाद अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेर लें उसके बाद अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेर लें|
बस अब आपकी चार रकात सुन्नत की नमाज़ मुकम्मल हो गयी है इसके बाद 33 मर्तबा सुबानाल्लाह, 33 मर्तबा अल्हम्दोलिल्लाह और 34 मर्तबा अल्लाह हुअक्बर पढ़नेके बाद दुआ मांग लें|
जुम्मा की दो रकात सुन्नत
दो रकात सुन्नत नमाज का तरीका हमने आपको ऊपर बता दिया है| आप ऊपर से दो रकात सुन्नत नमाज का तरीका पढ़ कर याद कर लें|
जुम्मा की नमाज का 2 रकात नफिल
जुम्मे की दो रकात नफिल नमाज जुम्मे की सबसे आखिरी नमाज होती है| दो रकात नफिल नमाज पढ़ने से पहले इस नमाज की नियत कर लें, दो रकात नफिल नमाज की नियत के बारे में हमने आपको ऊपर बताया है, तो सबसे पहले आप नियत कर लें उसके बाद नीचे बताए गए स्टेप को कर लें
पहली रकात
नियत करने के बाद सबसे पहले सना (सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका) पढ़ लें|
सना पढ़ने के बाद आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ लें|
उसके बाद बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ लें फिर सुरह फातिहा (अलहम्दो लिल्लाहे) पढ़कर आमीन बोलें|
उसके बाद आपको कुरान शरीफ की जो भी सूरह याद हो उसे पढ़ लें,
इसके बाद रुकू में जाएं और रुकू में कम से कम 3 या 5 बार सुबहाना रब्बियल अज़ीम पढ़ लें|
इसके बाद समिल्लाहु लिमन हमीदा बोलते हुए खड़े हो जाएं खड़े होने के बाद रब्बना लकल हम्द बोलें|
इसके बाद अल्लाहु अकबर बोलते हुए सजदे में चले जाए, पहले सजदे में आपको 3 या 5 बार और दुसरे सजदे में 3 या 5 बार सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ लें| इसके बाद अल्लाहु अकबर बोलते हुए दुसरे रकात के लिए खड़े हो जाए
दूसरी रकात
दूसरी रकात पढ़ने के लिए सबसे पहले आप पहली रकात में बताए गए 4 से 11 तक के सभी स्टेप को कर लें|
सजदे के बाद आप अल्लाहु अकबर बोलते हुए अपने पंजो पर बैठ जाए
उसके बाद अत्तहिय्यत या तशहुद पढ़ लें, फिर दरुदे इब्राहीम पढ़ लें
इसके बाद दुआ ए मशुरा पढ़ लें|
इसके बाद अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बोलते हुए पहले दाएं जानिब मुंह फेर लें इसके बाद अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बोलते हुए बाएं जानिब मुंह फेर लें|
बस अब आपकी दो रकात नफिल नमाज़ मुकम्मल हो गयी है फिर आप 33 बार सुबानाल्लाह, 33 बार अल्हम्दोलिल्लाह और 34 बार अल्लाह हुअक्बर पढ़कर अल्लाह ताला से दुआ मांग लें|
औरत जुम्मे के दिन जुम्मे की नमाज़ पढ़े या जोहर की?
काफी सारी मुस्लिम महिलाओ के मन में यह सवाल रहता है की उन्हें जुम्मे की दिन जुम्मा की नमाज पढ़नी चाहिए या नहीं| जुम्मे की नमाज (jumme ki namaz ka tarika) अकेले में नहीं पढ़ी जाती है और ना ही जुम्मे की नमाज को घर में अदा कर सकते है, इसलिए मुस्लिम औरतो को जुम्मे की नमाज नहीं पढ़नी चाहिए| मुस्लिम औरतें जुम्मे के दिन जोहर की नमाज पढ़ सकती है और अगर कोई मर्द मस्जिद में जाकर जुम्मे की नमाज अदा नहीं कर सकता है तो उसे भी जोहर की नमाज अदा करनी होती है|
जुम्मा की नमाज में इमाम के अलावा कम से कम कितने मर्द होने चाहिए?
काफी सारे मुस्लिम मर्दो के मन में यह सवाल होता है की Jumma ki Namaz पढ़ने के लिए इमाम के अलावा कितने मर्द होने चाहिए| जुम्मे की नमाज मस्जिद में अदा की जाती है ऐसे में जुम्मे की नमाज पढ़ने के लिए इमाम के अलावा 10 से 15 बालिग़ मर्द होने चाहिए|
जुमे की नमाज़ किस पर जरुरी है और किस पर नहीं
जुम्मे की नमाज हर उस मर्द के लिए जरुरी है जो बालिग़ होता है, जुम्मे की नमाज औरतों और बच्चो के लिए जरुरी नहीं है| औरतो के लिए जुम्मे के दिन जुम्मे की नमाज की जगह जुहर की नमाज़ अदा करना बताया गया है| इसके अलावा अगर किसी भी मर्द की उम्र 75 साल से ज्यादा है या मर्द को किसी भी प्रकार की शारीरिक परेशानी है या इंसान मानसिक रूप से सही नहीं है या पागल है ऐसे सभी मर्दो पर जुमा की नमाज़ फ़र्ज़ नहीं होती है|
जुम्मा की नमाज़ और दूसरे नमाज़ों में फर्क
जुम्मे की नमाज और बचे हुए दिनों की नमाज में काफी फर्क होता है, चलिए अब हम आपको जुम्मे की नमाज और आने दिनों की नमाज के फर्क के बारे में बताते है
(1) जुम्मे की नमाज़ (jumma ki namaz ki rakat aur Tarika) केवल जुम्मे के दिन पढ़ी जाती है, बाकी नमाजें आपको रोज अदा करनी होती है|
(2) जुम्मे की नमाज़ अकेले में नहीं पढ़ी जाती है, जुम्मे की नमाज पढ़ने के लिए जमात का होना जरुरी है और दूसरी नमाज़ को आप जमात के साथ या फिर अकेले भी पढ़ सकते हैं|
(3) जुम्मे की नमाज को आप घर पर नहीं पढ़ सकते है|
(4) जुम्मे की नमाज को छोटे गांव या ऐसी जगह पर नहीं पढ़ा (jumma namaz ka tarika) जाता है जहाँ पर मुस्लिम मर्दो की संख्या कम हो, जबकि दूसरी नमाज ऐसी जगहों पर पढ़ी जा सकती है|
(5) बाकी नमाज में खुद्बा जरुरी नहीं है लेकिन जुम्मे की नमाज़ के लिए खुद्बा बहुत ज्यादा जरुरी है|
जुम्मा की नमाज में ध्यान रखने वाली बातें
जब भी आप जुम्मा की नमाज़ पढने जाएं तो आपको कुछ बात का खास ख्याल रखना चाहिए
1 – जुम्मे की नमाज में खुतबा बहुत जरुरी है लेकिन खुतबा के दौरान खास ख्याल रखना चाहिए की आपको खुतबा के समय आपस में बात नहीं करनी है बल्कि चुप रहना चाहिए|
2 – जुमें की नमाज में समय से पहुंचना चाहिए|
3 – जुम्मे की नमाज के लिए साफ कपड़े पहनने चाहिए, कभी भी जुम्मे की नमाज में गंदे कपड़ें पहन कर ना जाएं|
4 – जब भी आपको जुम्मे की नमाज़ की अजान सुनाई दें तो आपको अपने सभी काम धंदे छोड़कर नमाज के लिए चले जाना चाहिए|
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